न जाने कब खर्च हो गये , पता ही न चला....!
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वो लम्हे ,
जो छुपाकर रखे थे "जीने के लिए”...!!
लोग समझते हैं कि मैं तुम्हारे हुस्न पर मरता हूँ,
अगर तुम भी यही समझते हो तो सुनो,
जब हुस्न खो दो तब लौट आना....!!!
Kitna Aur Dard Dega
Bas Itna Bta De
Aaisa Kar
Ye Rabb Meri Hasti Mita De
Yun Ghut Ghut Ke Jeene Se Maut Behtar Hai
Kabhi Naa Khule Aankhe Tu Aaisi Neend Sula De.....!
ए-खुदा उसके हर एक लम्हे की हिफाज़त करना,
उसका मासुम सा चेहरा हमसे उदास नही देखा जाता.....!!!
लोग पूछते है ये कविताएँ कैसे बनी ?
मैं कहता हूँ :
कुछ आँसू कागज़ पर गिरे और छप गए….!
लोग देखेंगे तो अफ़साना बना डालेंगे ………..!
यूँ मेरे दिल में चले आओ की आहट भी न हो .!!!
ज़मीन के उपर मोहब्बत से रहना सीख लो
वर्ना ज़मीन के नीचे सुकून से ना रह पाओगे।
मुद्दत से उस की छाँव में बैठा नहीं कोई
वो सायादार पेड़ इसी ग़म में मर गया.....!!!
क्यूँ ना सज़ा मिलती मुझे इश्क़ में,
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तोड़े दिल मैंने भी बहुत थे तेरी खातिर।"
True lines ::
“Jo iNsaan Apse Zyada Pyar,
Krega Wo Apse
Roz Ladega....!!
Lekin Jb Apka ek Ansu Girega,
Toh..
Use Rokne Ke Liye Wo Puri,Duniya Se Ladega”...!
तुम भी करके देखलो मौहबत समझ जाओगे
हम मुसकुराना क्युं भुल गऐ। ..!!!
रात आती है किसी की याद में कट जाती है
आँख रहरहकर सितारों में डबडबाती है
इतनी बदनाम हो गयी हु
मैं आजकल की
मेरे घर नींद भी आते हुए शर्माती है......
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