टूट कर चाहना और
फिर टूट जाना...
बात छोटी है मगर जान
निकल जाती है...
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आसान नही होता है शायरी के ग्रुप का एडमिन बन पाना....
समय निकलना पड़ता है अजनबी लोगो का दर्द बाटने के लिए....
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कब तक बहाना बनाता रहूँ आँख में कचरा चले जाने का....
लो आज सरेआम कहता हूँ के मे तुझे याद करके रोता हूँ ...
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बहुत रोया था मैं ये सोचकर की,
.
जिसे जान से ज्यादा चाहो वो किसी और का कैसे हो सकता है
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उसको बेवफा कहकर अपनी ही नजर में
गिर जाते है हम.....
वो प्यार भी अपना था और वो पसंद भी
अपनी थी...
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मैं अपने सारे एहसास, समेट ले जाऊँगा ...
हौसला रख, मैं बहुत दूर चला जाऊँगा ...!!
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ग़मों की ऑंच में ऑंसू उबाल कर देखो,
बनेगा रंग किसी पर भी डाल कर देखो !
तुम्हारे दिल की चुभन भी ज़रूर कम होगी,
किसी के पॉंव का कॉंटा निकाल कर देखो !
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क्यों भरोसा करते हो गैरो पर,
जबकि तुम्हें चलना है, खुद के पैरो पर....
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Tere Deedar Ki Qimat Agar Mera Khoon Bhi Hota
Khuda Gawah Hai
Ik Ik Qatra Teri Ik Ik Jhalk Pe Baha Deta.....
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एक शख्स है ज़िन्दगी जैसा..
और वो भी ज़िन्दगी में नहीं…!!
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