लफ्ज़ वही हैं ,
माईने बदल गये हैं
किरदार वही ,
अफ़साने बदल गये हैं
उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते
ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये हैं. ...
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वो अक्सर ज्योतिष को हाथ दिखाकर नसीब पुछती थी अपना....!
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Har Naye Mod Par Sham Ho Jati Hai,
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जानता हु मगर फिर भी, पूछना चाहता हूँ..
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वक्त की यारी तो हर कोई करता है मेरे दोस्त .
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Q Naraz h0te h0 humer¡ ¡n Nadan Harkat0 se...? ? ?
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Jab Bikhrega tere Rukhsar per Teri hi Aankho ka Paani...
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